त्रिशला नंदन, करते शत शत वंदन : शारदा पुगलिया

त्रिशला नंदन, करते शत शत वंदन : शारदा पुगलिया

 


 

 

त्रिशला नंदन !

 

करते शत शत वंदन !

 

कर रहा है जग सारा आज क्रंदन !

 

त्राहि त्राहि मची है देखो जिधर !

 

भूल गए मानव तेरा पथ पावन !

 

सुध लेले भूले राही की आकर भगवन ।

 

 

दे जा ऐसा दिव्य  दिग्दर्शन !

 

अहिंसा , समत्व, अपरिग्रह का हो

 

फिर इस धरती पर शासन!

 

नहीं हो राज वैर , प्रतिस्पर्धा ,हिंसा का !

 

जात पांत ऊंच नीच अमीर गरीब जैसा क्रंदन ।

 

 

कर आलोक धारा पर फिर एक बार ,

 

मानव की क्रूरता से धरा कर रही क्रंदन !

 

सहती सहती हो अधीर दे रही सबक भयंकर !

 

संभल जाए मानव अपने कुकृत से दे दे ऐसा मंतर ।

 

 

तन मन से तुझे ध्या रहे तेरे जन्म कल्याणक पर !

 

बन मसीहा उतर आ एक बार फिर से धरती पर !

 

*जिओ और जीने दो अहिंसा और अमन से 

 

फैला दे ये पैगाम पताका नील गगन पर !

 

जय जय हो ज्ञात पुत्र महावीर त्रिशला नंदन ।

 

 

 

 


 

 

 

 

शारदा पुगलिया 

कोलकाता