महावीर भगवान थे , अगणित गुण भंडार : संतोष आचलिया

 महावीर भगवान थे , अगणित गुण भंडार : संतोष आचलिया

 

 

काव्यांजली - अनुपम उपमा से उपमित 

 

‘ महावीर ‘

 


 महावीर भगवान थे , अगणित गुण भंडार

 

 घोर तपस्या से किया अन्तर अरि संहार,

 

 

 अनुपम उपमा से हुए , उपमित जग आधार

 

 कांस्यपात्र कि भांति थे , नित निर्लेय उदार

 

 

 प्रभु निरंजन शंख सम , राग रहित विख्यात

 

अप्रतिकृत गति जीव सम , तीर्थकर जग-तात

 

 

 निरालम्ब नभवत् अनिल सम थे अप्रतिबद्ध 

 

निर्मल शारद सलिल सम , निजानु शासन बद्ध

 

 

 कमलपात्र समभोग में , नित्त निर्लिप्त उदार

 

 थे जितेन्द्रिय प्रभु सदा , कच्छपवत् साकार 

 

 

अप्रमत भारण्डवत् , शूर गजेन्द्र समान 

 

पराक्रमी थे वृषभ सम , अचल मेरू उपमान

 

 

 सिंह तुल्य  दुद्धर्ष  थे , सागर सम गम्भीर

 

 सौम्य चन्द्रवत सूर्यवत् तेजस्वी जिन वीर 

 

 

कांतिमान थे  कनकसम , सहनशील भू तुल्य

 

 तेजस्वी थे अग्निवत  आगम वचन अमुल्य 

 

 

 


 

 

 

सन्तोष आचलिया 

रतनगढ़ (तिरूपुर)