बिन साहस के फीका जीवन : देवेंद्रसागरसूरि 
बैंगलोर । साहस के अभाव में मनुष्य को किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती। मन की दृढ़ता और शक्ति का नाम ही साहस है। उपरोक्त बातें आचार्य श्री देवेंद्रसागरजी ने प्रवचन के माध्यम से कही वे आगे बोले की जीवन का आनन्द साहस के साथ काम करने में है। जो लोग फूलों की छाँह तले पलकर बड़े हुए हैं तथा जिन्होंने संघर्ष और प्रतिकूल परिस्थितियाँ देखी ही नहीं हैं-वे जीवन के असली आनन्द के बारे में क्या जानें? उन्होंने आगे कहा की जीवन जीने के दो प्रकार हैं-पहला प्रकार है कायरतापूर्ण जीवन जीने का। इस शैली में इस समाज के लोगों से और परिस्थितियों से प्रतिकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और दुर्बलतापूर्वक परिस्थितियों के गुलाम बन जाते हैं।

 

 


 

 

हमारे मन में किसी महान या कठिन कार्य को करने का विचार आता है लकिन विचार के अनरूप हम कार्य को अंजाम नहीं दे पाते अथवा कठिन कार्य करने से पहले ही हमारा दिल घबरा जाता है तो इसे हमारी कायरता अथवा बुजदिली ही समझना चाहिए।जीवन जीने का दूसरा प्रकार है-जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने का और हिम्मत के साथ अपना पग आगे बढ़ाना। घर-परिवार में आए दिन नई-नई समस्याएँ पैदा होती रहती हैं। साहसी लोग इस प्रकार की छोटी-मोटी समस्याओं से घबराते नहीं है बल्कि साहस के साथ उनका मुकाबला करते हैं। घर में यदि चोर घुस आता है तो साहसी व्यक्ति डरकर नहीं बैठ जाता बलि अपने हाथ-पैरों की शक्ति या किसी हथियार की शक्ति से उसका मुकाबला करता है।

 

 

 

 

बाजार में जब कोई दुष्ट व्यक्ति किसी अबला नारी की इज्जत लूटता है तो साहसी व्यक्ति अपनी जान की परवाह न करते हुए नारी की इज्जत बचाने हेत कूद पड़ता है। साहस का धनी विद्यार्थी कठिन-से-कठिन परीक्षाओं से भी नहीं घबराता। वह अपनी अथक लगन और परिश्रम से पढ़ाई में मेहनत करता है तथा परीक्षाओं में सबसे अच्छे अंक लाकर उत्तीर्ण होता है।साहस रखने से जीवन की आधी समस्याएँ अपने आप ही हल हो जाती हैं।इसलिए जीवन में कितनी भी आपत्ति विपत्ति आए हमें साहस और धैर्य के साथ काम लेना चाहिए