होली प्रेम भाईचारा सद्भाव का प्रतीक है - मुनि जिनेश कुमार
 

 

अहिंसा क्रांति / राजेन्द्र बोथरा

 

हैदराबाद। आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था  समिति - हैदराबाद के तत्वाधान में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी आदि ठाणा 3 के सानिध्य मे आज होली चतुर्मास समारोह राघवेंन्द्र नगर कॉलोनी, शिवरामपल्ली मे लक्ष्मीपत  कुंडलिया के निवास स्थान पर  मनाया गया। 

इस अवसर पर मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने फरमाया कि भारतीय संस्कृति मे होली  का विशेष महत्व है।होली का सम्बन्ध स्वास्थ्य से है। होली का पर्व परस्पर प्रेम, भाईचारा व सौहार्द का प्रतीक है, इसलिए सभी संप्रदाय के लोग बिना भेदभाव किए और गरीब और अमीर का भेद मिटा कर होली पर्व मनाते हैं।  जैन दर्शन में होली चातुर्मास का विशेष महत्व है । ग्रंथों के अनुसार होली का संबंध हिरनाकश्यप व प्रहलाद के साथ जुड़ा हुआ है, होली का पर्व आत्मा से परमात्मा का मिलन है ।  असुरी शक्तियों पर  देवीय शक्तियों की विजय का है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हमारे भीतर जो अहंकार रूपी हिरण्य कश्यप बैठा है, उसको समाप्त करता है और प्रहलाद हमारे भीतर भक्ति  व विनम्रता का विकास करता है । मुनि श्री ने आगे फरमाया कि होली रंगों का त्योहार है, रंग व्यक्ति के उत्थान और पतन में निमित्त होते हैं ,हमारी भाव धारा हमारे विचार निर्मल व पवित्र रहे। विचारों की पवित्रता से व्यक्ति का चिंतन सकारात्मक होता है, व्यक्ति शुभ रंगों की साधना से जीवन को पवित्र बनाएं, प्रमोद भावना, मैत्री , करुणा का विकास करें।  मुनि परमानंदजी ने फरमाया कि मनुष्य उत्सव प्रिय प्राणी है, होली नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय है।  कुणाल मुनि ने मधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर  आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति - हैदराबाद के अध्यक्ष महेंद्र भंडारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रसन्न भंडारी, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष दीपक संचेती,  एम सी बलडोता बेंगलुरु , केशव नारायण उड़ीसा, डालचंद सिपानी, रणजीत सिपानी, राकेश कठोतिया आदि  ने अपने भावों कि प्रस्तुति दी ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री जिनेश कुमार जी के द्वारा नवकार मंत्र पाठ से हुआ, मंगलाचरण ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं व बच्चों ने किया। स्वागत वक्तव्य विनोद डागा ने दिया और कार्यक्रम संचालन मुनि श्री परमानंदजी ने किया। 

कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक डालचंद जी सिपानी, राकेश कुंडलिया और कॉलोनी के निवासियों का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के पश्चात भोजन की व्यवस्था भी रखी गई और श्रावक श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।