तुम्हारी ही धुन में मैं रमता रहूँ, तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ : राहुल सेठ
तुम्हे पुजू तुम्हे चाहूं, तुम्हे तकता रहूँ,
तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ।।
त्रिशला नंदन तुमको वंदन,
अर्पित तुझको अक्षत चन्दन,
थाल सजाकर पूजा रचाकर,
गीतों की एक माला बनाकर,
तुम्हारी ही महिमा मैं गाता रहूँ।
तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ।।
सत्य अहिंसा की राह चलु,
द्वेष किसी से मैं न रखु,
जीव दया को ध्यान में रखकर,
जैन कूल में पलकर-बढ़कर
तुम्हारे ही पथ पर मैं चलता रहूँ।
तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ।।
चंद्र कौशिक, चन्दन बाला
कितनो का भव तुमने है तारा
मोह-माया से पीछा छुड़ाकर
चरणों की तुम्हारी धूल मैं बनकर
तुम्हारी ही धुन में मैं रमता रहूँ।
तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ।।
तुम्हे पुजू तुम्हे देखू, तुम्हे तकता रहूँ,
तुम्हारे नाम की माला मैं जपता रहूँ।।
कवि राहुल सेठ 'राही'
गाँव:- थोबावाड़ा, उदयपुर