जोधपुर । 21 सितम्बर महावीर भवन -निमाज की हवेली में महाश्रमणी गुरु माता महासती श्री पुष्पवती जी म.सा. के सान्निध्य में तप त्याग, ज्ञान ध्यान का वातावरण बना हुआ है l धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए उपप्रवर्तिनी श्री राजमती जी म. सा. ने फरमाया -मन को अशुभ भावों से रोक कर शुभ भावों में जोड़ने से भाव धर्म की आराधना की जा सकती है। बिना पैसों के, बिना शक्ति के कमजोर शरीर से भी जिसकी आराधना की जा सकती है वह भाव धर्म है। प्रतिकूल संयोगों में किसी के सहयोग के बिना जिसकी आराधना की जा सके वह भाव धर्म है।सबसे ज्यादा कर्म निर्जरा जिससे की जा सकती है वह भाव धर्म है। आत्मा को आत्म स्वरुप में ढाले उसका नाम भाव है।दान, शील, तप से भी ऊँचा भाव धर्म है l बिना भाव धर्म क्रिया चित्त को शुद्ध बनाने वाली नहीं।भावों में शुद्ध आलम्बन के द्वारा उछाल लाएंगे तो विपुल कर्म निर्जरा हो सकती है।
साध्वी डॉ. राजऋद्धि जी म.सा. ने कहा-किसी देव, गुरु, धर्म की निंदा, द्वेष, आलोचना नहीं करने चाहिए।खोटे को समझ -बूझकर त्याग करना, सच्चे को ग्रहण करने से आत्महित की रक्षा होती है।
साध्वी श्री राज वृद्धि जी म.सा. ने कहा-होनहार बलवान है, होनी को कोई टाल नहीं सकता। मनुष्य को कर्मों पर विश्वास करके धैर्य धारण करना चाहिए।
संघ महामंत्री सुनील चोपड़ा ने कहा उपप्रवर्तिनी सद्गुरुवर्य श्री राजमती जी म.सा. के 61वें जन्मदिन के अवसर पर 28/9/2019 से 2/10/2019 तक पंच दिवसीय कार्यक्रमों के अंतर्गत सामायिक दिवस, बच्चों के लिये प्रतियोगिता, महिलाओ के लिये क्विज कांटेस्ट, सजोड़े जाप एवं गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा।