आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज व्यक्तित्व एवं कृतित्व' पर राष्ट्रीय  विद्वत संगोष्ठी अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न
ललितपुर। गणेश वर्णी नगर,महावीर विद्या विहार  मड़ावरा में  परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य परम पूज्य,  अध्यात्म योगी मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज के सान्निध्य में दिगम्बर जैन समाज  और  भक्तोल्लसत चातुर्मास समिति मड़ावरा के तत्वावधान में   'आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज व्यक्तित्व एवं कृतित्व'  पर 2 से 3 नवंबर 2019 तक दो दिवसीय राष्ट्रीय  विद्वत संगोष्ठी डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर के संयोजन में अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न हुई। उल्लेखनीय है कि पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी जी की सृजनभूमि और विद्वानों की नगरी मड़ावरा के इतिहास में पहलीबार विद्वत संगोष्ठी का आयोजन हुआ है।

 


 

 

इस संगोष्ठी में डॉ. सुशील जैन मैनपुरी, अखिल भारत वर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि परिषद के महामंत्री ब्र. जयकुमार जी  निशांत भैया जी, टीकमगढ़, वरिष्ठ विद्वान डॉ रमेश चंद्र जी  दिल्ली, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में जैन-बौद्ध दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक जी जैन  वाराणसी, प्राचार्य निहालचंद्र जी  बीना, प्रतिष्ठाचार्य विनोद जैन जी रजवांस, प्रतिष्ठाचार्य विमल सौरया जी टीकमगढ़, डॉ नरेंद्र जैन जी गाजियाबाद, डॉ.  महेंद्र मनुज जी  इंदौर, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल में जैन दर्शन के प्राध्यापक डॉ. पंकज  जी भोपाल, ओजस्वी वक्ता राजेन्द्र जी  'महावीर' सनावद, राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित डॉ विमल जैन जी  जयपुर,  डॉ सुनील संचय जी  ललितपुर (संगोष्ठी संयोजक),  राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित व सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर राजस्थान में प्राकृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुमत जैन जी उदयपुर, डॉ आशीष शास्त्री वाराणसी, मंगलायतन विश्वविद्यालय अलीगढ़ में जर्नलिज्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर मयंक अलीगढ़, प्रभावना जनकल्याण परिषद के महामंत्री डॉ निर्मल जी  शास्त्री टीकमगढ़,  पंडित शीतलचंद्र जैन जी  ललितपुर, प्रभावना जनकल्याण परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील शास्त्री टीकमगढ़,

साढूमल के जैन विद्यालय में अधीक्षक संतोष शास्त्री, शुभम शास्त्री, मड़ावरा आदि विद्वानों ने अपने आलेख प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर अहिंसा करुणा के संपादक मनीष शास्त्री शाहगढ़,   डॉ संजय जैन भोपाल, ब्रजेश शास्त्री बड़ागांव,  पंडित ऋषभ वैद्य बड़ागांव, शीलचंद्र शास्त्री ललितपुर, शोभाराम शास्त्री ककरवाहा, पंडित श्रीन्नदन टीकमगढ़, निर्मल सिंघई,  हर्षित शास्त्री, प्रमोद शास्त्री, प्रवीण शास्त्री आदि विद्वानों की उपस्थिति भी प्रमुख रूप से रही ।

 

 

 

 

 

संगोष्ठी के पांच सत्रों में अध्यक्षता क्रमशः डॉ रमेश चंद्र जी दिल्ली, डॉ सुशील जी मैनपुरी, प्रो अशोक जी वाराणसी, पंडित विनोद जी रजवांस, पंडित निहालचंद्र जी बीना ने की। संचालन क्रमशः डॉ सुनील जैन संचय, डॉ पंकज जैन, डॉ आशीष वाराणसी,  डॉ महेंद्र  मनुज, राजेन्द्र महावीर ने किया। प्रत्येक सत्र में सारस्वत अतिथि क्रमशः डॉ नरेंद्र जी गाजियाबाद, ब्र. जय कुमार जी निशांत, शीलचंद्र शास्त्री, डॉ. विमल जी जयपुर, पं. विमल जी सौरया रहे।

इस दौरान मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपनी दिव्य देशना में कहा कि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने अपने आध्यत्मिकता से परिपूर्ण ओजस्वी व उर्जावान प्रवचनों के माध्यम से जन जन तक पहुंचने का प्रयास किया है। आचार्यश्री बहुविज्ञ एवं बहुश्रुत आचार्य हैं। सरल,सहज किंतु गंभीर प्रवचनों के माध्यम से तत्त्वचिन्तन को पूज्य आचार्यश्री प्राचीन आचार्यों द्वारा प्रणीत मूलशास्त्रों के आधार पर प्रस्तुत करने में कुशल हैं।  आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी श्रमण संस्कृति के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं  ।

 

 

 

 

इस अवसर पर मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज ने कहा कि आचार्य विशुद्ध सागर जी जन-जन के संत हैं।उन्होंने अनेक चेतन और अचेतन कृतियों का सृजन किया है। 

आभार  चातुर्मास समिति के अध्यक्ष डॉ वी सी जैन, चातुर्मास समिति के संयोजक राजू सौरया और  रज्जू जैन, शिखर चंद्र सिलोनिया ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर संगोष्ठी में सम्मिलित विद्वानों 

को स्मृति चिन्ह , माला, श्रीफल, कलश देकर  भक्तोल्लसत चातुर्मास समिति मड़ावरा और दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा के पदाधिकारियों डॉ वी सी जैन, राजू सौरया, रज्जू जैन, शिखर चंद सिलोनिया, जे के जैन,  माणक चंद्र जैन, कंछेदी लाल जैन, राकेश जैन,उमेश जैन, सनत जैन,प्रियंक सराफ, प्रदीप जैन, डी के सराफ, अभिषेक जैन, प्रवीण जैन, प्रमोद बजाज, प्रकाशचंद्र जैन आदि ने सम्मानित किया।

पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी जी की सृजनभूमि मड़ावरा की जैन समाज ने भी इस संगोष्ठी में अपूर्व उत्साह  दिखाया है उनके आतिथ्य की भी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। विद्वानों  द्वारा मड़ावरा के भव्य दिगंबर जैन मंदिरों के दर्शन से मन आह्लादित हो गए।

पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी जी की सृजनभूमि होने के कारण यहाँ गणेश वर्णी जी का एक भव्य स्टेच्यू बनवाने का भी प्रस्ताव भी विद्वानों ने समाज के सामने रखा गया। 

अतिशय क्षेत्र गिरार के दर्शनार्थ पहुँचे विद्वान :

दोपहर में मड़ावरा से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र गिरार गिरी के दर्शनार्थ विद्वान गिरार गिरी पहुँचे, जहाँ उन्होंने अति प्राचीन और अतिशयकारी मूलनायक आदिनाथ भगवान के साथ क्षेत्र की वंदना की