जोधपुर 9 नवम्बर। श्री साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय सन्त आचार्य श्री रामेष के सान्निध्य में सम्पन्न हो रहे चातुर्मास के दौरान त्याग, तपस्या, अठाई एंव अठाई से ज्यादा 30,31, 51 उपवास तक करने वाले श्रावक श्राविकाआंे का जोधपुर नगर निगम के महापौर घनष्यामजी औझा के मुख्य आतिथ्य में बहुमान किया गया। समारोह के प्रारम्भ में राष्ट्रीय प्रवक्ता महेष नाहटा द्वारा त्याग तपस्या पर प्रकाष डाला गया। समारोह की अध्यक्षता बीकानेर मारवाड़ अंचलके प्रभारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एंव स्थानीय संघ अध्यक्ष नेमीचन्द पारख द्वारा की गयी।
अपने स्वागत उदबोधन में संघ के महामंत्री सुबोध मिन्नी ने महापौर घनष्याम औझा एंव देष के विभिन्न प्रान्तो से भारी संख्या मे उपस्थित सदस्यों का एंव तपस्वीजनांे का स्वागत एंव अभिनन्दन किया। अपने उदबोधन में उन्होने चातुर्मास कार्यकाल के दौरान नगर निगम, प्रषासन, पुलिस एंव प्रैस एंव मिडीया के विषेष सहयोग के लिये साधुवाद किया। उन्होने बताया कि गुरूभगवन्तों की प्रेरणा से ही वृहद रूप से बड़ी बड़ी तपस्या सम्भव हो पायी है। मुख्य अतिथी के रूप मे बोलते हुए महापौर घनष्यामजी औझा ने आचार्य श्री रामेष के चातुर्मास को जोधपुर का एक ऐतिहासिक चातुर्मास बताया। उन्होने कहा हमे समय पर भोजन तो क्या चाय भी अगर नही मिलती है तो हम बैचेन हो जाते है, परन्तु सुनीताजी सांखला द्वारा 51 की तपस्या करना, टीनाजी पारख द्वारा एक ही चातुर्मास मे 2-2 मासखामण करना अपने आप मे अनमोल तपस्या है। उन्होने सभी तपस्वीजनों को धर्म के प्रति समर्पणता व्यक्त करने पर सराहना की। संघ के सीमीत परिवार होते हुए भी 31 जनों द्वारा चातुर्मास के दौरान मासखामण एंव 100 से अधिक जनों द्वारा अठाई करना एक महान उपलब्धि रही। समारोह के प्रारम्भिक दौर में महिला मण्डल द्वारा तपस्या पर आधारित भजन एंव गीतिका प्रस्तुत की गयी। महापौर घनष्याम औझा, संघ अध्यक्ष नेमीचन्द पारख, महामंत्री सुबोध मिन्नी, उपाध्यक्ष महावीर भण्डारी, अरूण चैरडिया, भागचन्द सिंगी, चातुर्मास संयोजक ताराचन्द सांखला, सह-संयोजक तनसुख जैन, संचालन गुलाब चैपड़ा, महिला समिती अध्यक्ष सरला सिंगी, महामंत्री मीना कटारिया, बहुमण्डल अध्यक्ष षीलू भण्डारी, महामंत्री कविता लूकड़, समता युवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री अरूण चैपड़ा, अध्यक्ष राकेष चैपड़ा महामंत्री अनिल सांखला एंव आगन्तुक मेहमानांे एंव सदस्यो द्वारा तिलक, रोली, प्रषस्ति पत्र, माला, चाँदी के सिक्के भेंट कर तपस्वियों का बहुमान किया गया।
मासखामण एंव उससे अधिक की तपस्या मे श्रीमति सुनीताजी सांखला ने 51, श्रीमति सन्तो़ष जी डोसी ने 51, श्रीमति टीनाजी पारख ने दो बार मासखामण, श्रीमति प्रिंयका जी सांखला ने 30, श्रीमति मन्जूजी चैपड़ा ने 31, श्रीमति संगीताजी पारख ने 31, श्रीमति सीमा जी चैपड़ा ने 31, श्रीमति भावनाजी बाफना ने 31, श्रीमति चेतनाजी सांखला ने 31, श्रीमति मन्जूजी देषरला ने 31, श्री किषौरजी संाखला ने 31, श्री प्रेमचन्दजी संचेती ने 31, श्री रोषनजी सांखला ने 31, श्री षान्तिलालजी बोथरा ने 31, सुश्री निरमा मालू ने 30, श्रीमति दमयन्तिजी सांखला ने 31, श्रीमति नीनाजी भण्डारी ने 31 श्रीमति पिंकी जी सांखला ने 31,श्रीमति मनीषाजी चैपड़ा ने 33, श्रीमति षोभाजी संाखला ने 28, श्रीमति षालिनीजी सिंगी ने 31, श्रीमति सरिताजी छाजेड़ ने 31, श्रीमति निर्मलाजी सांखला ने 28, श्रीमति मन्जूजी भण्डारी ने 31,श्रीमति खुषबूजी सांखला ने 31, श्रीमति बेबीदेवीजी सांखला ने 31, श्रीमति ललिताजी सांखला ने 31, श्रीमति मुन्नीदेवीजी सांखला ने 31, श्रीमति पिंकीजी संाखला ने 31, श्रीमति सुषीलाजी चैपड़ा ने 31, श्री पे्रमचन्दजी पोरवाल ने 30 की तपस्या की।
इनके अलावा 8 एंव 16 उपवास तक की तपस्या करने वाले उपस्थित 100 श्रावक श्राविकाओं
को भी कुंक रोली, माला, प्रषस्ति पत्र, चाँदी के सिक्के देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर तपस्वीजनांे के साथ साथ चातुर्मासिक आयोजन मे स्थानीय सहयोगीयों, सहयोगी संस्थाओ, गणमान्य नागरिको को भी मुख्य अतिथी महापौर घनष्याम औझा द्वारा षाल, माला एंव प्रषिस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। अधिकांषतः तपस्वीजनों ने अपने तप, त्याग की सफलता का श्रेय आचार्य श्री रामेष को प्रदान किया। आज प्रातः 8ः30 बजे अपने प्रवचन में आचार्य श्री रामेष ने फरमाया कि एक बार का जन्म और एक बार का मरण भंयकर दुख देने वाला होता है, भंयकर दुखो की वेदना देने वाला होता है। हमारी आत्मा ने यह वेदना जन्म जन्मान्तर से भोगी है। हमे आत्म बोध करना है एंव इस असार संसार से मुक्ति पाने के लिये धर्म मार्ग पर आगे बढ़ना है।
हम अपने मन को मजबूत बनाकर संसार के भोगों को दूर हटायें और सम भाव अपनाकर जीवन को सफल बनायें। उक्त अवसर पर श्री मदनमुनिजी म.सा. एंव श्री लघुताश्रीजी म.सा. ने भी प्रवचन दिया। आचार्य श्री द्वारा आगामी 10 नवम्बर से 12 नवम्बर को सामूहिक रूप से तेले व्रत के रूप मे मनाने का आहवान भी किया गया। तपस्वीजन सम्मान समारोह के अन्त में समारोह संयोजक सुरेष सांखला एंव गुलाब चैपड़ा द्वारा आभार व्यक्त किया गया। सभा का संचालन गुलाब चैपड़ा एंव महेष नाहटा द्वारा किया गया। कल का प्रवचन प्रातः 8ः30 बजे रखा गया है। कार्यक्रम के दौरान किषोर सांखला, रमेष मालू, रेखचन्द नाहटा, नवरतन चैरडिया, सन्देष बैद, दिलीप बरमेचा, टीकम बोथरा, जसराज गुलेच्छा, कैलाष चैपड़ा, राजकुमार सांखला, सन्तोष पारख, ऋषभ पारख, राजेन्द्र सांखला, रितेष ललवानी राहुल सिंगी, राजेन्द्र खींवसरा, रिखबचन्द सालेचा, मदनलाल सांखला, संजय चैपड़ा,षान्तिलाल पामेचा, कान्तिलाल छाजेड़, दिनेष पारख, राजकुमार सांखला, सुभाष नाहर, गौतम गुलेच्छा, गुलाबचन्द सांखला, सुरेष सांखला, ममता पामेचा, चन्दा बैद, मनीषा चैपड़ा, आदि की सक्रिय सहभागिता रही।